विश्लेषण : कोरोनावायरस के चलते भारत में CO2 उत्सर्जन की वृद्धि में पिछले चार दशकों में पहली बार आयी कमी


अर्थव्यवस्था में मंदी, नवीकरणीय उर्जा में बढ़ोत्तरी और कोविड-19 के प्रभाव के चलते भारत के CO2 उत्सर्जन की वृद्धि में भारी कमी आयी है, जो पिछले चार दशकों में अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गयी है। कोयले और तेल की खपत में भारी कमी के चलते मार्च में ख़त्म हुए वित्तीय वर्ष में देश के उत्सर्जन में 1% की गिरावट दर्ज की गयी है।

उत्सर्जन में यह गिरावट 2019 के शुरुआती दौर से भारतीय अर्थव्यवस्था की ख़राब होती हालत और नवीकरणीय उर्जा के बढ़़ते उत्पादन का संकेत है। लेकिन हमें आधिकारिक रूप से संपूर्ण भारत से प्राप्त हुए वित्तीय वर्ष 2019-2020 के डाटा के‌ विश्लेषण के मुताबिक, कोरानावायरस जैसी महामारी से लड़ने के लिए उठाये गये क़दमों के चलते मार्च महीने में इसमें भारी गिरावट दर्ज की गयी है। मार्च के महीने में भारत द्वारा किये जानेवाले CO2 उत्सर्जन में अनुमानतः 15% की गिरावट दर्ज की गयी है और अप्रैल के महीने में इसमें 30% की गिरावट का अनुमान है।

वैश्विक स्तर पर फ़ैली इस महामारी के चलते CO2 उत्सर्जन में भारी कमी देखने को मिल रही है। ऐसे में भारत में इसके उत्सर्जन संबंधी दीर्घकालिक नीति संभवतः इस बात पर निर्भर करेगी कि भारत किस तरह से इस महामारी से कितने कारगर तरीके से मुक़ाबला करता है। उल्लेखनीय है कि इससे संबंधित प्रतिसाद अब सामने आने लगा है, जिसे नीचे बख़ूबी दर्शाया गया है। भारत के दीर्घकालिक C02 उत्सर्जन और वायु की गुणवत्ता पर इसका गहरा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

मांग में कमी के चलते कोयले की खपत की समस्या

घटती मांग और नवीकरणीय उर्जा से प्रतिद्वंद्विता के चलते पिछले 12 महीने में थर्मल पावर के उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गयी है। महज़ मार्च में दर्ज की गयी भारी गिरावट की वजह से मार्च में ख़त्म हुए वित्तीय वर्ष में उत्पादन शून्य प्रतिशत से भी नीचे चला गया है। पिछले तीन दशक में दर्ज की गयी यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है।

इससे पहलेवाले दशक में थर्मल पावर के उत्पादन में प्रतिवर्ष 7.5% की वृद्धि देखी गयी थी। नीचे दिये गये आंकड़ों के मुताबिक, बिजली की कुल मांग में नाटकीय गिरावट दर्ज की गयी है। इसकी मुख्य वजह कोयला आधारित जेनरेटर्स थे, जिससे उत्सर्जन पर पड़नेवाले इनके प्रभाव का पता चलता है। मार्च और अप्रैल के पहले तीन सप्ताह में कोयला आधारित बिजली उत्पादन में 15% की गिरावट दर्ज की गयी। यह डाटा नैशनल ग्रिड के रोज़ाना के डाटा पर आधारित है। इसके उलट, मार्च महीने में नवीकरणीय ऊर्जा (RE) का उत्पादन 6.4% तक बढ़ा और अप्रैल के पहले तीन सप्ताह में इसमें मामूली गिरावट दर्ज की गयी।

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Daily power generation by source and by year in India. Source: POSOCO . Chart by Carbon Brief using Highcharts .

उल्लेलखनीय है कि बिजली क्षेत्र की ज़रूरतों से परे भी कोयले की कुल मांग में गिरावट देखी गयी है, जो कोयला आपूर्ति से जुड़े डाटा से स्पष्ट हो जाता है। मार्च में ख़त्म हुए वित्तीय वर्ष में कोयला की प्रमुख उत्पादक कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा कोयले की बिक्री में 4.3% की गिरावट दर्ज‌ की गयी, जबकि कोयले के आयात में 3.2% की वृद्धि हुई। इस‌का मतलब यह हुआ कि कोयले की कुल खपत में 2% की गिरावट देखी गयी। यह गिरावट पिछले दो दशक के इतिहास में किसी भी साल में हुई अब तक की सबसे बड़ी गिरावट के रूप में दर्ज की...

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